स्थायी चुबंक चल कुंडली यंत्र में अवमंदक बल उत्पन्न करने के लिए कौन सी विधि प्रयोग की जाती है ?
वायु अवमंदन
कमानी अवमंदन
एडी करंट अवमंदन
द्रव अवमंदन
एडी करंट अवमंदन
एक वैद्युतिक मापक यंत्र का संकेतक बिना कंपन किए शीघ्र ही अपनी अंतिम विक्षेप अवस्था प्राप्त कर लेता है यदि?
उसमें उचित अवमंदन उपस्थित हो
उसमें अवमंदन उपस्थित न हो
उसमें निम्न अवमंदन उपस्थित हो
उसमें उच्च अवमंदन उपस्थित हो
उसमें उचित अवमंदन उपस्थित हो
किसी वैद्युतिक मापक यंत्र के सचल भाग पर कार्यरत घुमाव बल है
विक्षेपक घुमाव बल
नियंत्रक घुमाव बल
डेपिंग घुमाव बल
उपरोक्त सभी
नियंत्रक घुमाव बल
यदि चल कुडंली धारामापी को डी.सी. परिपथ में संयोजित करके उसके संयोजनों को अंतः बदल दिया जाए तो यंत्र?
यंत्र का पाठ्यांक अपरिवर्तित रहेगा
कोई विक्षेप नहीं दर्शाएगा
विपरीत दिशा में विक्षेप दर्शाएगा
गलत पाठ्यांक दर्शाएगा
विपरीत दिशा में विक्षेप दर्शाएगा
स्थायी चुंबक चल कुडंली यंत्र में अवमंदक बल उत्पन्न करने के लिए कौन सी विधि प्रयोग की जाती है-
वायु अवमंदन
कमानी अवमंदन
भंवर धारा अवमंदन
द्रव अवमंदन
भंवर धारा अवमंदन
किसी वैद्युतिक मापक यंत्र के सचल भाग पर कार्यरत घुमाव बल है-
विक्षेपक घुमाव बल
नियंत्रक घुमाव बल
डैम्पिंग घुमाव बल
ये सभी
नियंत्रक घुमाव बल
आवृत्ति मीटर द्वारा मापी जाती है-
ए.सी. की आवृत्ति
डी.सी. की आवृत्ति
धारा की गति
प्रतिरोध
ए.सी. की आवृत्ति
एक वैद्युतिक मापक यंत्र का संकेतक बिना कंपन किए शीघ्र ही आपनी अंतिम विक्षेप अवस्था प्राप्त कर लेता है यदि-
उसमें उचित अवमंदन उपस्थित हो
उसमें अवमंदन उपस्थित न हो
उसमें निम्न अवमंदन उपस्थित हो
उसमें उच्च अवमंदन उपस्थित हो
उसमें उचित अवमंदन उपस्थित हो
स्प्रिंग नियंत्रित यंत्रों में नियंत्रित टॉर्क-
समायोजन आसानी से किया जा सकता है
समायोजन आसानी से नहीं किया जा सकता है
समान रहता है
भार के साथ परिवर्तीत रहता है
समायोजन आसानी से नहीं किया जा सकता है
यदि चल कुडंली धारामापी को डी.सी. परिपथ में संयोजित करके उसके संयोजनों को अंतः बदल दिया जाए तो यंत्र-
यंत्र का पाठयांक अपरिवर्तित रहेगा
कोई विक्षेप नहीं दर्शाऐगा
विपरीत दिशा में विक्षेप दर्शाऐगा
गलत पाठयंाक दर्शाऐगा
कोई विक्षेप नहीं दर्शाऐगा
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